martedì 16 ottobre 2018

सबरीमला से लेकर तीन तलाक़, महिलाएं ही महिलाओं के ख़िलाफ़ क्यों?

केरल में सबरीमला मंदिर के दरवाज़े खुलने का वक्त जितना नज़दीक आ रहा है उतना ही महिलाओं के प्रवेश पर विरोध की आवाज़ तेज होती जा रही है.
कुछ हिंदू संगठनों और राजनीतिक दलों के नेतृत्व में विरोध करते प्रदर्शनकारी तिरुवनंतपुरम में सचिवालय तक पहुंच गए हैं.
'सबरीमला बचाव' अभियान के तहत केरल में ही नहीं अहमदाबाद और दिल्ली में भी प्रदर्शन किया गया. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डाली गई है.
प्रदर्शनकारियों ने पहले राज्य सरकार से भी याचिका डालने की मांग की थी. अब उनका कहना है कि वह महिलाओं को मंदिर के अंदर नहीं जाने देंगे.
सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ये मामला गरमाया हुआ है. 12 साल के संघर्ष के बाद 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने 4-1 के बहुमत से महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने का फैसला सुनाया था.ब कोर्ट ने कहा था कि सभी श्रद्धालुओं को पूजा का अधिकार है. उन्हें रोकने के दोतरफा नजरिए से महिला की गरिमा को ठेस पहुंचती है. सालों से चले आ रहे पितृसत्तात्मक नियम अब बदले जाने चाहिए.
फैसला लेने वाले चार जजों में शामिल जस्टिस इंदू मल्होत्रा प्रवेश के पक्ष में नहीं थीं. उनका कहना था कि कोर्ट को धार्मिक मान्यताओं में दख़ल नहीं देना चाहिए क्योंकि इसका दूसरे धार्मिक स्थलों पर भी असर पड़ेगा.
अब प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं और उनमें महिलाएं बड़ी संख्या में हैं. उनके हाथ में झंडे में हैं और भगवान अयप्पा की तस्वीर. महिलाओं के पक्ष में आए इस फैसले का खुद महिलाएं ही विरोध कर रही हैं.
फैसले के विरोध में पहले भी 4000 से ज्यादा महिलाओं ने मार्च निकाला था. उनका कहना है कि सालों पुरानी परंपरा को नहीं तोड़ना चाहिए. इससे भगवान अयप्पा का अपमान होगा.
ऐसा पहली बार नहीं है जब बात महिलाओं के अधिकारों की हो और वो खुद उसके ख़िलाफ़ खड़ी हों. हले भी सार्वजनिक तौर पर महिलाओं के अधिकारों की मांग होने पर महिलाएं ही उसके विरोध में आई हैं. फिर चाहे शनि शिंगणापुर के गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर रोक का मामला हो या तीन तलाक को अवैध करार देने का.
तब भी कई जगह महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन किए थे और इसे धर्म से छेड़छाड़ बताया था.
समान अधिकारों के इन मामलों में महिलाएं बंटी हुई नज़र आती हैं. लेकिन अपने ही अधिकारों की बात पर आखिर महिलाएं आमने-सामने क्यों होती हैं? किसी भी मुहिम पर इसका क्या असर पड़ता है.
इस पर सामाजिक कार्यकर्ता कमला भसीन कहती हैं, ''महिलाएं ही महिलाओं के ख़िलाफ़ दिखती जरूर हैं, लेकिन ऐसा है नहीं. दरअसल हम औरतें भी पितृसत्तात्मक सोच के प्रभाव में होती हैं. हमने बचपन से यही सीखा है. हम चांद पर तो पैदा नहीं हुए. हिंदुस्तान में पैदा हुए जहां कुछ लोगों ने कहा कि औरतें नापाक हैं, अपवित्र हैं इसलिए मंदिर-मस्जिदों में नहीं जा सकतीं. औरतें भी यही मानते हुए पलती-बढ़ती हैं.''
''ये बात घरों में भी दिखती है जहां सास-बहू के झगड़े उन बातों पर होते हैं जो महिलाओं के अधिकार से जुड़े हैं. कन्या भ्रूण हत्या तक में मां और सास की सहमति होती है. यही बात बड़े स्तर पर भी लागू हो जाती है. उन्हें अपने अधिकारों की जानकारी ही नहीं है. फिर उनमें ये हिम्मत भी नहीं होती कि बड़े-बड़े पंडितों और मौलवियों को जवाब दे सकें.''

lunedì 8 ottobre 2018

मिनट में कहीं भी कर सकते हैं तैनात, एक साथ 100 हवाई टारगेट्स को भांप कर उन्हें हवा में ही

नेशनल डेस्क/नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच आज दिल्ली के हैदराबाद हाउस में औपचारिक चर्चा होगी। दोनों नेता 19वीं भारत-रूस सालाना समिट में भी हिस्सा लेंगे। दोनों देशों के बीच 20 समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। इनमें सबसे अहम 37 हजार करोड़ की एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम डील पर मुहर लग सकती है।रिया में तैनात है एस-400
एस-400 मिसाइल सिस्टम, एस-300 का अपडेटेड वर्जन है। जमीन से हवा में मार करने वाला यह सिस्टम दुश्मन देशों के लड़ाकू जहाजों, मिसाइलों और ड्रोन को पलक झपकते ही खत्म कर देगा।
खास बात यह है कि एक साथ 100 हवाई टारगेट को भांप सकता है। रूस ने इस सिस्टम को सीरिया में तैनात कर रखा है। एयर डिफेंस सिस्टम मिसाइलों और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को भी 400 किलोमीटर के दायरे में आते ही खत्म कर देगा। डिफेंस सिस्टम एक तरह से मिसाइल शील्ड का काम करेगा। यह पाकिस्तान और चीन की एटमी क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइलों से भारत को सुरक्षा देगा। यह सिस्टम अमेरिका के सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट एफ-35 को भी गिरा सकता है। यह सिस्टम 36 परमाणु क्षमता वाली मिसाइलों को एकसाथ नष्ट कर सकता है। अगर सौदा होता है तो चीन के बाद इस सिस्टम को खरीदने वाला भारत दूसरा देश होगा।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक एस-400 में मिसाइल दागने की क्षमता पहले से ढाई गुना ज्यादा तेज है. इसके साथ ही यह एक साथ 36 जगहों पर निशाना लगा सकता है, इसके अलावा इसमें स्टैंड-ऑफ जैमर एयरक्राफ्ट, एयरबोर्न वॉर्निंग और कंट्रोल सिस्टम एयरक्राफ्ट है, यह बैलिस्टिक और क्रूज दोनों मिसाइलों को बीच में ही नष्ट कर देगा, एस-400 रोड मोबाइल है और इसके बारे में कहा जाता है कि आदेश मिलते ही पांच से 10 मिनट के भीतर इसे तैनात किया जा सकता है।

चीन, पाकिस्तान के मिसाइल अटैक को नाकाम करेगा S-400 सिस्टम
फिलहाल भारत में एयर डिफेंस सिस्टम दूसरे देशों की कम्पेरिजन में पुराना है, जिनमें ज्यादातर सोवियत युग के मिग जेट हैं। एस-400 रूस की सबसे एडवांस और सबसे शक्तिशाली वायु रक्षा प्रणाली है जो 2007 में रूसी सेना में तैनात की गई थी। ये अमेरिका के सबसे आधुनिक लड़ाकू विमान एफ-35 को भी समय रहते गिराने की क्षमता रखती है। चीन ने 2015 में सबसे पहले रूस से S-400 रक्षा प्रणाली खरीदी थी और इस साल जनवरी से ये चीनी सेना में शामिल है। वहीं पाकिस्तान ने 1980 में एयर मिसाइल प्रोग्रान की शुरुआत की थी, इंडिया से तनाक के हालात में वो लगातार मिसाइल परीक्षण करता रहा है, फिलहाल पाकिस्तान के पास शाहीन-1, शाहीन-2 और शाहीन-3, गजनी, गौरी और बाबर जैसी मिलाइलें भी हैं, लेकिन ये S-400 सिस्टम के सामने नहीं टिकेंगी, इसीलिए पाकिस्तान की नींद उड़ी हुई है।
अमेरिका को क्यों है डील से ऐतराजभारत-रूस के बीच होने वाले संभावित समझौते को देखते हुए अमेरिका ने नाराजगी जाहिर की है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बुधवार को कहा कि हम अपने सभी सहयोगियों और साझेदारों को रूस के साथ व्यापार न करने का अनुरोध कर चुके हैं। अगर ऐसा नहीं होता है तो सहयोगी देशों पर सीएएटीएसए के तहत प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

domenica 7 ottobre 2018

लाहौल-स्पीति घाटी में तापमान -17 डिग्री सेल्सियस पहुंचा, नदियां-झीलें जमीं

हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति जिले में सब जीरो टेम्परेचर (-17.78 डिग्री सेल्सियस) रिकॉर्ड किया गया है। इसके चलते नदियां और झीलें जम गई हैं। हिमाचल के कई इलाकों में 21 से 23 सितंबर के बीच बादल फटने से भारी बारिश और बर्फबारी हुई थी। इसके चलते छतरू और छोटा दारा जैसे इलाकों में कई कारें और बाइक्स फंस गई थीं।
 यूज एजेंसी के मुताबिक, स्पीति घाटी का तापमान काफी गिर गया है। छतरू इलाके में बहने वाली चंद्रा नदी बर्फ की चादर में बदल गई है। हाल ही में हुई बर्फबारी के चलते कई इलाकों में फंसे सैकड़ों स्थानीय लोगों और विदेशियों को हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू किया गया था।

हिमाचल के पहाड़ी इलाकों में रास्ता बंद: रोहतांग, कुंजुम और बरलाचा दर्रे में भारी बर्फबारी के चलते इनका संपर्क लाहौल-स्पीति घाटी से टूट गया है। पानी और बिजली सप्लाई भी बाधित हुई है और सैकड़ों पर्यटक फंस गए हैं। मनाली के एसडीएम रमन गरसंघी ने कहा है कि मनाली-रोहतांग पास सोमवार को खुल जाएगा। इलाके को बर्फबारी के चलते बंद कर दिया था और पर्यटकों को यहां जाने की इजाजत नहीं थी। पर्यटकों को ग्रीन परमिट के जरिए ही वहां जाने की इजाजत होगी। ग्रीन परमिट को ऑनलाइन ही लिया जा सकेगा।
नोएडा. सेक्टर 94 में रविवार को एक निर्माणाधीन इमारत की शटरिंग गिरने से चार मजदूरों की मौत हो गई। हादसे में छह अन्य जख्मी हुए हैं। फिलहाल, मरने वालों यूपी और बिहार के निवासी है। गौतमबुद्धनगर पुलिस ने मालिक और ठेकेदार के खिलाफ केस दर्ज किया है।
पुलिस उपाधीक्षक (नगर) अवनीश कुमार ने बताया कि सेक्टर 94 में बीपीटीपी बिल्डर्स एक हाईराइज बिल्डिंग बना रहे हैं। रविवार सुबह करीब 10 बजे शटरिंग गिरने से हादसा हुआ। पुलिस ने मलबे में दबे मजदूर अशोक, विजयपाल, महेश, अजय, शादाब, नौशाद, करण, नसरुल, राम जय कुमार और चक्रधारी को बाहर निकाला।

इलाज के दौरान बिहार के सिमरी निवासी राम विजय कुमार, विजय पाल निवासी बदायूं (उप्र.), करन निवासी बरेली (उप्र.) व नौशाद निवासी ग्रेटर नोएडा (उप्र) की मौत हो गई। सबरीमाला मंदिर के मुख्यपुजारी ने मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिए जाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के साथ बातचीत से इनकार कर दिया। पुजारियों का कहना है कि केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने का कदम उठाया है और इस मुद्दे पर चर्चा की कोई जरूरत नहीं है। महिलाओं को मंदिर में प्रवेश दिए जाने के आदेश के खिलाफ राज्य में कई जगहों पर विरोध जारी है। इन लोगों का कहना है कि मंदिर में प्रवेश के लिए बरसों से चली आ रही परंपरा को लागू किया जाए।
रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने तंत्री (मुख्य पुजारी) परिवार और पंडालम राजपरिवार के सदस्यों के इस मुद्दे पर बातचीत के लिए बुलाया था। राजपरिवार के सदस्यों ने भी चर्चा से इनकार कर दिया।
तीन मुख्य पुजारियों में से एक कांडारारु मोहनारु और राजपरिवार के सदस्य शशिकुमार वर्मा ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील नहीं करना चाहती है और ऐसे में उनसे बातचीत का कोई मतलब नहीं है।
मोहनारु ने कहा कि हम रिव्यू पिटीशन दायर करेंगे। देखते हैं इसका क्या नतीजा निकलता है। इस मामले में पंडालम राजपरिवार का नजरिया जानने के बाद हम अधिकारियों के साथ भी चर्चा करेंगे।
वर्मा ने कहा- सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत है। यह भगवान अयप्पा मंदिर की परंपराओं और रीति-रिवाजों का उल्लंघन है। लेकिन, सरकार बिना इसका विरोध किए महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने जा रही है।
विपक्षी भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही केरल सरकार के फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि ये भगवान अयप्पा के अनुयायियों की भावनाओं के खिलाफ है। रविवार को सैकड़ों अयप्पा अनुयायियों ने सनातन धर्म की पुनर्स्थापना की मांग करते हुए सरकार के फैसले का विरोध किया।
सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक हटा थी और कहा था कि हर उम्र की महिला मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी। पहले हर महीने होने वाली माहवारी को आधार बनाकर मंदिर प्रबंधन ने महिलाओं के प्रवेश पर पिछले 53 सालों से रोक लगा रखी थी। लेकिन, साल 2006 में पांच महिला वकीलों ने इस मामले में याचिका दायर की थी।